यो व: शिवतमो रसस्तस्य भाजयतेह न:
उश्तीरिव मातर:
हे प्रभो! जो आपका आनन्दमय भक्तिरस है,आप हमें वही प्रदान करे
जैसे शुभकामनामयी माता अपनी सन्तान का पालन करती है, वैसे ही आप मुझ पर दया करें
Tuesday, November 10, 2009
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