समय ही जीवन की परिभाषा है। भक्ति-साधना द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कई बार किया जा सकता है,लेकिन गुजरा हुआ समय पुनः नहीं मिलता। अपना पूरा जीवन इन्सान को नीयमितता का ध्यान रखना चाहिए। भगवान उसी का साथ देते हैं जो समय के पाबंद है एवम आपना समस्त जीवनक्रम समयानुसार बिताते है।
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