क्रोधो मूलमनर्थानां क्रोधः संसारबन्धनम्।
धर्मक्षयकरः क्रोध्स्तस्मात्क्रोधं विवर्जयेत्॥
अर्थात
क्रोध अनर्थों का मूल है,क्रोध संसारिक बंधनो का स्रोत है एवं धर्म का क्षय करने वाला है,अतः इसका परित्याग करना चाहिए।
Sunday, November 22, 2009
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