यदि किसी भी काम को अधूरे आत्मविश्वास के साथ किया जाता हैं तो उस काम की करूपता मन की उदासी एवं अधूरेपन के रूप में झलक ही पड़ती हैं, मन की उदासी कहीं बाहर से नहीं आती, किसी घटना से संबंधित नहीं होती। यह तो एक प्रकार का आत्मविश्वास हैं, जिसे मनुष्य अपने स्वभावानुसार घटा-बढ़ा सकता हैं।
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