Tuesday, June 8, 2010
भगवान श्री कॄष्ण ने गीता में कहा हैं कि हम सभी को अपना जीवन बाँसुरी के समान बनाना चाहिए, बाँसुरी जिस प्रकार बिना बुलाए बोलती नहीं, उसी प्रकार हमें भी मौन का ही अनुसरण करना चाहिए, बाँसुरी की तरह ही जब भी मुख खोले तो सदा मीठा ही बोले यानि "ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करें आपहु शीतल होय",एवं जिस प्रकार बाँसुरी में कोई गाँठ नहीं होती, उसी प्रकार किसी से मतभेद होने की स्थिति में हम मन में उस व्यक्ति के प्रति कोई गाँठ न बाँध ले इस बात का हमें विषेश ध्यान रखना चाहिए।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment