मनुष्य का मन एक मदमस्त हाथी के समान हैं यदि उसे एक बाड़े में रखा जाए तो वह पुनः गंदगी से बच जाता है, इसी प्रकार यदि एक बार मनुष्य का मन ध्यान साधना और भगवान के भजन से शुद्ध हो गया तो उसे ईश्वर भजन और स्मरण के बाड़े में बंद कर देना चाहिए तभी वह जग में व्याप्त मलिनता से बच पाएगा।
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