Thursday, August 19, 2010
रोटी के लिए मरते खपते रहना मनुष्य का नहीं तुच्छ जीव-जंतुओ का कार्य हैं, इसीलिए इस अति दुर्लभ मानव शरीर को सार्थक बनाने के लिए इस प्रकार का कार्य करें जिसके लिए ईश्वर ने हमें इस धरती पर अवतरित किया है,क्योंकि यदि हम इस सही मार्ग पर नहीं चलेगें तो यह बहूमूल्य जीवन व्यर्थ हो जाएगा और सिवा पछतावे के हमारे हाथ कुछ नहीं आएगा।
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where are you?I am missing you.
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