Friday, June 17, 2011
सब ओर ईश्वर की ही तो सत्ता विराजमान हैं, भगवान ही माता-पिता के रूप में हमारा जीवन सँवारते हैं, भाई-बहन बन हमारे साथ खेलते हैं, मित्र बन हमें मुश्किलों से उबारते हैं, साथी बन हर सुख-दुख में हमारा साथ निभाते हैं, शत्रु बन हमें विपत्तियों से जूझना भी प्रभू ही सिखाते हैं सब उस परमपिता के ही तो रूप हैं,केवल हमें भिन्न दिखते हैं क्योंकि हमारा देखने का नज़रिया अलग है। सही मायने में धरती- आकाश सब ओर जहाँ भी हमारी दृष्टि जाती है इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड के रचयिता और निर्माता और कण-कण में विराजमान केवल मेरे प्रभू जी ही तो हैं।
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