Monday, June 27, 2011
ईश्वर सब तरफ विराजमान हैं, न तो वह किसी से पक्षपात करते हैं और न ही पूजा-अर्चना का दिखावा करने से प्रसन्न होते हैं, उन्होंने तो मानव को केवल एक ही काम सौंपा है कि वह दूसरों की सेवा करें, उनके दुख-दर्द में काम आए और मानवता के कल्याण में ही अपना जीवन व्यतीत करे, परन्तु मनुष्य तो केवल अपने ही कल्याण में(धन अर्जन) में अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत कर देता है और यह सोचता हैं कि प्रभू भजन और मानव सेवा के लिए तो बुढ़ापा ही काफी हैं परन्तु जीवन की संध्याकाल आने पर सिवा पछ्तावे के और कुछ हाथ नहीं लगता। अतः समय रहते ही सचेत हो जाओ और जिस मकसद से परमात्मा ने इस धरती पर जन्म दिया हैं उसे पूर्ण करो।
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