Thursday, April 22, 2010

उदारमना मनुष्य को सब तरफ उदारता ही बिखरी प्रतीत होती हैं। उदारता मनुष्य को उस सोपान पर पहुँचा देती हैं जहाँ उसे हर इंसान उस परमसत्ता की ही छवि प्रतीत होता हैं।

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