Friday, April 30, 2010
यह बात तो हम सभी जानते हैं कि मंदिर में प्रतिमा के रूप में जो भगवान रहते हैं वह बोलते नहीं परन्तु हमारे अतःकरण में रहने वाले भगवान जब भी दर्शन देते हैं तो वे हमसे बात करने के व्याकुल रहते हैं और वह हमसे यह प्रशन करना चाहते हैं कि "मेरे इस अति दुर्लभ, दिव्य, अनुपम मानव जीवन के उपहार का इससे अच्छा उपयोग क्या और कुछ नहीं हो सकता जैसा कि किया जा रहा हैं?"वे इसका उत्तर हम सबसे चाहते हैं, एवं हमें इसका उत्तर जीते-जी या मृत्योपरान्त भगवान को देना ही होगा।
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