जीवन में जो आपने कर्म किए उनका दोष दूसरों पर मत डालिए, दूसरों से यदि गल्ती भी हो जाए तो उन्हें क्षमा कर दें, उन्हें क्षमा कर आप अपना ही परलोक सुधार रहें हैं क्योकि जो क्षमाशील है वह देवत्व के मार्ग पर है और क्षमा न करने वाला असुरत्व के मार्ग पे, चुनाव आपका है कि किस मार्ग पर आपको जाना है।
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