यह सम्पूर्ण जीवन एक रंगमंच समान ही तो है, हम सभी कलाकार हैं और हमारी डोर ईश्वर के हाथ है, कब किसकी डोर खिंच जाए और कलाकार चला जाए यह तो संचालक(भगवान) ही बता सकते हैं। एक आत्मा ही तो है जो ईश्वर के ही समान कभी न मिटने वाली है और जिसका परमात्मा के साथ अटूट संबंध है जो कभी भी समाप्त नहीं होगा।
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