जीवन ईश्वरप्रदत्त अमूल्य संपदा हैं जिसे प्राप्त तो सभी करते हैं परन्तु इसका सदुपयोग सभी नहीं कर पाते और दुबुद्धि से बनाई दिनचर्या पशु-पक्षियों के अविकसित जीवन से भी ज्यादा दुखदायी एवं कष्टकारी होता है इसीलिए भगवान द्वारा दी गई इस अनमोल संपदा को व्यर्थ न गवाएँ।
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