Tuesday, November 2, 2010
यह जीवन यदि व्यर्थ चला गया तो फिर पीछे पछताने के अलावा कोई चारा न रह जाएगा क्योंकि एक बार हाथ से निकल गया तो न जाने फिर कितनी योनियाँ भुगतने के बाद ही यह बहूमूल्य मानव जीवन प्राप्त होगा इसीलिए समय रहते ही सचेत हो जाने में समझदारी हैं, देर करने से नुकसान केवल हमारा हैं। अपने इस बेशकीमती जीवन को अर्थपूर्ण बनाएँ, मानवता की सेवा करें।
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enlightening thought!
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