Monday, November 8, 2010
आपको जब कभी ऐसा लगे कि आपको किसी ने आवाज़ दी हैं परन्तु यह पता न चले कि किसने पुकारा हैं तो निश्चित रूप से समझ लीजिए कि यह अपनी ही अंतरात्मा की पुकार है जो मनुष्य को सचेत कर रही हैं कि यह बहूमूल्य जीवन धीरे-धीरे हाथ से निकलता जा रहा हैं और यदि ऐसा ही चलता रहा तो परमपिता का यह अमूल्य अनुदान व्यर्थ न चला जाए।
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