Monday, January 3, 2011
मनुष्य के लिए सबसे बहूमूल्य वस्तु है जीवन,जो ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात है और जिसकी कीमत हीरे से भी ज्यादा हैं क्योंकि हीरा जिस प्रकार कोयले से ही बनता है पर वह कोयले का सुगढ़ रूप है उसी प्रकार जीवन अनगढ़ों के लिए सोने और खाने से ज़्यादा और कोई महत्व नहीं रखता। इसी दुनिया में वह सुगढ़ भी हैं जिनके लिए इन पंचतत्वों से निर्मित यह जीवन इतना महत्वपूर्ण है कि उनके जीने के ढंग से यह झलकता है कि "जीना इसी का नाम है" और वह स्वयं देवत्व का ही उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
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