Thursday, January 6, 2011
इस दुनिया में हर तरह के लोग रहते हैं कुछ सज्जन और कुछ दुर्जन। सज्जनो के साथ उदारता और समझदारी की नीति ही अपनाई जाती है परन्तु दुर्जनो को दंड भय के अलावा समझाने का कोई चारा नहीं, उनके साथ उदारता से नहीं बल्कि असहयोग, और विरोध का मार्ग अपनाना पड़ता है। जिस प्रकार पाप और पुण्य में अंतर होता है उसी प्रकार मनुष्य, मनुष्य में भी भिन्नता होती है, इसलिए स्थिति और स्तर के अनुरूप ही व्यवहार करना उचित रहता है।
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very correct!
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