Wednesday, February 2, 2011

मनुष्य ज्ञान के ही कारण विकसित होता है, ज्ञान के स्वरूप को समझने के बाद ही उसे अहसास होता है कि उसकी सत्ता परमात्मा से भिन्न नहीं बल्कि वह स्वयं ही ईश्वर का अभिन्न अंग है। ज्ञान की उपल्बधि इसीलिए बहुत ही आवश्यक है, यही ज्ञान और विवेक ही तो है जो मनुष्य को पशु-पक्षियों से पृथक बनाते हैं और सद्‍ज्ञान के बलबूते पर ही मनुष्य परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग ढ़ूढ सकता है।

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