Monday, February 7, 2011
ईश्वर ही वे हैं जिन्हें पूर्ण पुरूष कहा जाता है, ईश्वर ही हैं जो परिपूर्ण हैं,उत्कृष्ट है। हम सभी अपूर्ण है और हमें पूर्णता केवल ईश्वर ही प्रदान कर सकते हैं और यही उत्कृष्टा प्राप्त करना ही तो बहूमूल्य मानव जीवन का लक्ष्य है जोकि केवल प्रभु की समीपता से संभव है। सच्चा संतोष एवं आन्नद कभी दुनियावी चीज़ो से प्राप्त नहीं होता। मन को सच्चे आन्नद से भर दे ऐसा सुख केवल ईश्वर के पास है और वो हमे केवल और केवल उपासना और साधना से मिल सकता है।
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