ईश्वर किसी से भी पक्षपात नहीं करते हरेक को उतना ही मिलता है जितने का वो अधिकारी है उससे ज़्यादा उसे मिल नहीं सकता क्योंकि उसके संचित कर्म उसे प्राप्त करने के अधिकारी नहीं बनाते और कितनी भी कोशिश कर ले मनुष्य को कभी उससे बेहतर जीवन नहीं मिल सकता जो ईश्वर ने उसके लिए निरधारित किया है।
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