Tuesday, February 2, 2010

भक्ति का अर्थ है भावनाओं की पराकाष्ठा और परमात्मा एवं उसके असंख्य रूपों के प्रति प्रेम। यदि किसी दुःखी को देखकर मन में करूणा जागे,किसी लाचार को देखकर मन में उसकी मदद करने की भावना जागे,एवं भूले-भटके को देख उन्हें सही मार्ग पर चलाने की इच्छा जागे, तो यह हृदय ही सच्ची भक्ति के योग्य हैं। ईश्वर की सच्ची उपासना दीन-दुखियों को पर दया कर उनकी सेवा-सश्रुणा करना ही हैं।

No comments:

Post a Comment