श्रम के बिना मनुष्य जीवन निरर्थक हैं। बिना श्रम मनुष्य की कोई पूछ नहीं। ईश्वर ने यह जीवन मनुष्य को श्रम द्वारा सार्थक बनाने के लिए ही प्रदान किया हैं। अतः जब तक जीवित हैं कठिन श्रम कीजिए, इस कठोर श्रम (साधना) द्वारा पारब्रह्म परमेश्वर तक भी पहुँचा जा सकता हैं।
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