Tuesday, February 23, 2010
भोगा न भुक्ता वयमय भुक्ताः अर्थात भोगों को हम भोग नहीं पाए, लेकिन भोगों ने हमको भोग लिया। यानि यह दर्शाता हैं कि किसी भी मनुष्य की स्मपूर्ण इच्छाएँ कभी पूरी नहीं होती परन्तु इन अतृप्त इच्छाओं के कारण ही हमें इस मृत्युलोक में बार-बार जन्म लेना पड़ता हैं एवं नाना प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं। अतः हम इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाए परन्तु इच्छाओं ने हमारा भोग कर लिया कहना अतिशोयक्ति न होगी।
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