Friday, February 5, 2010

ॠतेन गुप्त ऋतुभिश्च सर्वैर्भूतेन गुप्तो भव्येन चाहम्‌।
मा मा प्रापत्‌ पाप्मा मोत मृत्युरन्तर्दधेअहं सलिलेन वाचः॥
(अथर्ववेद,१७/१/२९)
अर्थात सत्यकर्म और धर्माचरण से ही मनुष्य जीवन सुरक्षित रहेगा,इसलिए हम निष्पाप और यशस्वी बनें और सदैव उच्च ज्ञान प्राप्त करते रहें।

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