Wednesday, March 31, 2010
Monday, March 29, 2010
Sunday, March 28, 2010
Saturday, March 27, 2010
Friday, March 26, 2010
Thursday, March 25, 2010
संसार एक कर्मभूमि हैं, जो जैसा कर्म करता हैं, उसे वैसा ही फल मिलता हैं। यदि कोई किसान बबूल बोकर, गेहूँ की फसल की इच्छा रखे तो यह उसी प्रकार असंभव हैं जिस प्रकार कोई मनुष्य दुष्कर्म करके भगवान से यह आशा रखें कि उसका जीवन सुखी एवं समृद्ध हो। अतः मन में सदैव पवित्र विचार रखें एवं आशापूर्ण विचारधारा रखें।
Wednesday, March 24, 2010
Tuesday, March 23, 2010
Monday, March 22, 2010
Friday, March 19, 2010
प्रभुप्राप्ति ही राजमार्ग हैं। भगवान बार-बार हमें यह बात भागवत गीता द्वारा बताते हैं कि इसी जीवन में बंधनो से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लो। मोक्ष का अर्थ हैं चेतना का ऊधर्वीकरण, यानि अपना अहं मिटाकर भगवान में लीन हो जाना, ऐसा होने पर परमात्मा हमारी चेतना में कण-कण में निवास करने लगते हैं और सभी दुःख-कष्ट मिट जाते हैं।
Thursday, March 18, 2010
Wednesday, March 17, 2010
Tuesday, March 16, 2010
महापुरूषों एवं संतो को, उर्दव गति प्राप्त होती हैं यानि वह मोक्ष को प्राप्त होते हैं, उसी प्रकार जिनका वध स्वयं परमात्मा करते हैं चाहे वह दुराचारी एवं अधर्मी ही क्यों न हो परम गति को प्राप्त होते हैं,इस बात का परिमाण हमें रावण, कंस एवं हरिणकश्यप जैसे दुष्टों का अंत ईश्वर द्वारा होने पर मिलता हैं। और अधिकतर मनुष्य जो साधारणतः तो मध्यम गति को प्राप्त होते हैं क्योंकि अपनी अपूर्ण इच्छाओं एवं संचित कर्मो के कारण उनका पुर्नजन्म अवश्यंभावी हैं, परन्तु यदि ऐसे मनुष्य भी अंत समय भगवान को स्मरण करते हैं तो दया एवं करूणा के अथाह सागर(परमात्मा) में लीन हो जाते हैं अर्थात वह आवागमन के चक्रव्यूह से मुक्त हो जाते हैं।हर पल उस परमपिता को याद करें यही परम स्मृति हैं।
Monday, March 15, 2010
Saturday, March 13, 2010
माम् उपेत्य भगवान को प्राप्त हो जाना ही सही मार्ग हैं और शांतिप्राप्ति का एकमात्र उपाय हैं। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा हैं मामुपेत्य पुनर्जन्म न विद्यते अर्थात यह भगवान का आश्वासन हैं कि उन्हें प्राप्त होने पर पुनर्जन्म नहीं होता और हम सोहम् सच्चिदानन्दोहम् हो जाते हैं अर्थात हमारी आत्मा परमतत्व में लीन हो जाती हैं एवं हम साक्षात् अविनाशी परमब्रह्म की सत्ता हो जाते हैं
Friday, March 12, 2010
Thursday, March 11, 2010
Wednesday, March 10, 2010
Tuesday, March 9, 2010
Monday, March 8, 2010
Sunday, March 7, 2010
Saturday, March 6, 2010
Friday, March 5, 2010
जीवन एक सराय के समान हैं, जितने रिश्ते-नाते हैं सब यहीं छूट जाते हैं, सभी कुछ यहीं रह जाता हैं यह मोह-माया के जाल में जकड़कर आत्मा तड़पती रहती हैं क्योंकि आत्मा को यह शरीर प्रभु प्राप्ति के लिए प्रदान किया गया हैं एवं हर मनुष्य के जीवन का यही लक्ष्य भी हैं,परन्तु मनुष्य इस परम लक्ष्य को छोड़ केवल धन संग्रह और जीवन यापन में लगा हुआ हैं।
Thursday, March 4, 2010
Wednesday, March 3, 2010
आत्मा सत्य है। इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि एक चोर भी दूसरे से यह अपेक्षा नहीं रखता हैं कि उसके यहाँ कोई चोरी न करें, उसी प्रकार एक दुराचारी व्यक्ति भी दूसरों से सदा सदाचार की ही अपेक्षा रखता हैं, यह बात इस बात का प्रमाण हैं कि हर मनुष्य की आत्मा निष्पाप एवं अटल सत्य हैं एवं वह व्याकुल हैं परमात्मा से मिलन के लिए परन्तु आत्मा को मनुष्य के दुष्कर्मो के चलते आवागमन की चक्की में पिसना पड़ता हैं।
Tuesday, March 2, 2010
Monday, March 1, 2010
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