Friday, March 5, 2010
जीवन एक सराय के समान हैं, जितने रिश्ते-नाते हैं सब यहीं छूट जाते हैं, सभी कुछ यहीं रह जाता हैं यह मोह-माया के जाल में जकड़कर आत्मा तड़पती रहती हैं क्योंकि आत्मा को यह शरीर प्रभु प्राप्ति के लिए प्रदान किया गया हैं एवं हर मनुष्य के जीवन का यही लक्ष्य भी हैं,परन्तु मनुष्य इस परम लक्ष्य को छोड़ केवल धन संग्रह और जीवन यापन में लगा हुआ हैं।
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