Tuesday, March 16, 2010
महापुरूषों एवं संतो को, उर्दव गति प्राप्त होती हैं यानि वह मोक्ष को प्राप्त होते हैं, उसी प्रकार जिनका वध स्वयं परमात्मा करते हैं चाहे वह दुराचारी एवं अधर्मी ही क्यों न हो परम गति को प्राप्त होते हैं,इस बात का परिमाण हमें रावण, कंस एवं हरिणकश्यप जैसे दुष्टों का अंत ईश्वर द्वारा होने पर मिलता हैं। और अधिकतर मनुष्य जो साधारणतः तो मध्यम गति को प्राप्त होते हैं क्योंकि अपनी अपूर्ण इच्छाओं एवं संचित कर्मो के कारण उनका पुर्नजन्म अवश्यंभावी हैं, परन्तु यदि ऐसे मनुष्य भी अंत समय भगवान को स्मरण करते हैं तो दया एवं करूणा के अथाह सागर(परमात्मा) में लीन हो जाते हैं अर्थात वह आवागमन के चक्रव्यूह से मुक्त हो जाते हैं।हर पल उस परमपिता को याद करें यही परम स्मृति हैं।
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