Saturday, March 6, 2010

उस परम ब्रह्म के अंश हैं हम सभी और उसमें समा जाना ही गति हैं(मोक्ष) अतः परम पिता में सदा ध्यान लगाए एवं हरेक प्राणी को उनका ही स्वरूप मानें।

No comments:

Post a Comment