Thursday, October 14, 2010
कटुवचन बिच्छु के दंश के समान ही जहरीले एवं कष्टदायक होते हैं, यदि कटुवचन बोलने वाला निर्दोष ही क्यों न हो परन्तु सभी उसे ही दोषी ठहराते है और कोई उससे सहानुभूति नहीं रखता इसीलिए किसी को भी कटुवचन बोलने से परहेज़ करें और जीवन में किसी का भी दिल दुखाने से पहले सौ बार सोचें क्योंकि जिस प्रकार निकला हुआ तीर कमान में वापिस नहीं आ सकता उसी प्रकार कही हुई दुखदायी बात से आप पीछे नहीं हट सकते।
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kaash yeh baat katuwachan bolkar,doosron ke dil ko dukhaane waale samajh paate!
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