Friday, October 29, 2010
भगवान के वरिष्ठ राजकुमार होने के नाते विश्व की समस्त वस्तुओं पर आपका समान अधिकार हैं, पहाड़ आपके, नदियाँ आपकी, वन-उद्यान अपने, बशर्ते कि आप संग्रह न करें,जितना आवश्यकता हो उतना ले लें और बाकी दूसरों के उपयोग के लिए छोड़ दें क्योंकि मिल-बाँट कर खाने की नीति ही सुखकर हैं और सबको सुख देना ही तो परमात्मा चाहते हैं, क्योंकि वह परमपिता हैं और अपनी संतान का सदैव सुख ही चाहते हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment