Tuesday, December 14, 2010
परमात्मा’ शब्द में ही जीवन का सत्य छिपा हैं, जिसने ईश्वर को नहीं समझा उसने जीवन से कुछ नहीं सीखा, जो व्यक्ति यह महसूस करता हैं कि हर पल हर क्षण वह ईश्वर को ही स्मरण करता हैं, उसकी कोई भी खुशी प्रभु बिन अधूरी है, उसे जिसे जीवन का कोई सुख परमात्मा के नाम से जुदा नहीं कर सकता और जो हरेक प्राणी में उस परम तत्व को ही ढूढ़ता हैं वही ईश्वर को समझ सकने का दम भर सकता हैं, केवल आडम्बर और दिखावा कर प्रभू को पाना असंभव हैं। भगवान भक्त का प्रेम देखते हैं, उसके पूजा-अर्चना का तरीका चाहे जैसा हो,चाहे साधनों का आभाव ही क्यों न हो, भगवान चढावे के रूप में भक्त के आँखो से बहे प्रेम भरे अश्रुओं को भी ग्रहण करते हैं।
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