Thursday, December 9, 2010
यदि मनुष्य स्वयं को सुधारना चाहे तो लोक से लेकर परलोक तक सुधार का मौका होता हैं पर जरूरत है पहल करने की, यदि मनुष्य एक कदम ईश्वर की ओर बढाता है तो ईश्वर हज़ारो हाथो से उसका स्वागत करते हैं। यह बात हमें सर्वदा स्मरण रहनी चाहिए कि आध्यात्म का लक्ष्य केवल आत्मकल्याण एवं मोक्ष प्राप्त करना ही नहीं है, बल्कि स्वयं सत्मार्ग पर चल औरों को भी प्रेरित करना हैं।
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