Thursday, January 7, 2010

वेदमूर्ति तपोनिष्ठ श्रीराम शर्मा आचार्य के शब्दों में स्वर्ग-नरक हमारे चिंतन एवं दॄष्टिकोण का एक तरीका है। यदि आपको दुनिया में अच्छाई दिखाई पड़ती है। कण-कण में भगवान दिखाई पड़ता है। इसी का नाम स्वर्ग है।

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