Thursday, September 2, 2010
दूसरों की अपेक्षा अपने को हीन मानना परले दरजे की बेवकूफ़ी नहीं तो और क्या हैं, ईश्वर की क्या यह कृपा कम हैं कि आपको सुर-दुर्लभ कर्मयोनि यानि मनुष्य का जन्म प्राप्त हुआ है, परमात्मा ने स्वयं अपनी चेतना का अंश दे आपको चैतन्य बनाया है, इच्छाओ,अंकाक्षाओं का प्रसाद प्रदान किया, बुद्धि,विवेक एवं शारीरिक बल दिया और चेतना से परिपूर्ण मन दिया हैं जिनका सदुपयोग करके मनुष्य महामानव बन सकता हैं और मृत्यु को परास्त कर अमर बन सकता हैं।
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