Wednesday, September 8, 2010
यह सच है कि मानव मस्तिष्क भी मानव जीवन की ही तरह ईश्वर की देन हैं परन्तु दिमाग स्वयं सिद्ध विचार यंत्र नहीं है, इसे सही दिशा में सक्रिय बनाने के लिए प्रयत्न की आवश्यकता पड़ती हैं। जिस व्यक्ति के विचार ऊँचे,कामनाएँ मंगलकारी एवं संगति साधुता पूर्ण होगीं उसका मस्तिष्क सदा स्वस्थ होगा। हमारा परम कर्तव्य हैं कि हमारा मस्तिष्क सदा कल्याणकारी दिशा में अग्रसर रहें और यह तभी संभव है यदि हमारे कार्य परमार्थ के लिए हों क्योंकि कल्याण का निवास परमार्थ के सिवाय और किसी में नहीं हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
u r a beloved child of God indeed!
ReplyDelete