Thursday, September 23, 2010
हम परमपिता परमेश्वर की संतान है। सृजेता(ईश्वर) मे हमें इस संसार में जन्म दिया है और हमारे भविष्य का सम्पूर्ण भार उन्हीं पर निर्भर हैं। जिस प्रकार माता-पिता हमें जन्म दे हमें हमारे हाल पर भटकने के लिए नहीं छोड़ देते, बल्कि ताउम्र हमसे प्रेम रखते हैं और सदा ही हमारा हित सोचते हैं तो फिर परमपिता जो सर्वश्रेष्ठ पिता हैं वह हमसे विमुख कैसे हो सकते हैं? हमारे जीवन में जो भी अंधकार एवं आभाव हैं वह इसी कारण हैं क्योंकि हम यह भूल जाते हैं कि हम उस परमब्रह्म की इस विराट सृष्टि का एक अंग है जिसकी सुरक्षा एवं देखभाल का सम्पूर्ण दायित्व स्वयं भगवन ने अपने ऊपर ले रखा हैं और यदि हम अपने पंतग रूपी जीवन की डो़र ईश्वर के हाथ छोड़ देगें तो उनका निश्चल प्रेम हमारी नैया को भवसागर पार करा ही देगा ।
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