Friday, September 17, 2010
यह जग परमात्मा ने बड़ा ही विचित्र बनाया है, इसमें हर तरह के मनुष्य बनाए है, कुछ सुगढ़ है तो कुछ अनगढ़। हमारा सदा ही अपने जीवन में सुगढ़ एवं सुसंस्कृत व्यक्ति ही मिलते रहें ऐसा संभव नहीं क्योंकि यह संसार केवल हमारे लिए नहीं बना हैं और ईश्वर ने तरह-तरह के मनुष्यों के साथ हमें व्यवहार करना आए इस प्रकार का सुनियोजन किया है। इसलिए जीवन में जब भी अनगढो़ से पाला पड़े तो अपने व्यवहार में बदलाव लाना ही उचित हैं क्योंकि ऐसे लोगों से अनावश्यक उदारता बरतना स्वयं को बहुत मंहगा पड़ सकता है इसलिए सदा श्रेष्ठजनो से सदा प्रेरणा लें एवं दुराचारियों से इस प्रकार का व्यवहार रखें जिस प्रकार मनोरोगियों से रखा जाता हैं, न तो क्षमाशील बना जाए और न उपचार प्रक्रिया से मुख विमुख करें। इसी प्रकार अनगढ़ दुराचारियों में भी परिवर्तन लाया जा सकता हैं।
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