Thursday, December 31, 2009
ईश्वर ने मनुष्य को सभी विभूतियों से संपन्न मानव जीवन वरदान के रूप में दिया है, साथ ही साथ यह स्वतंत्रता भी दी है कि मनुष्य जिस प्रकार चाहे उनका प्रयोग करे, चाहे तो ईश्वर के इस महान अनुदान का सदुपयोग करके ईश्वर प्राप्ति की ओर चल दे, अन्यथा दुरूपयोग कर मोहपाश और सांसारिक लिप्सा में जकड़कर अपना सर्वनाश कर लें ।
Wednesday, December 30, 2009
Tuesday, December 29, 2009
जो तुम दूसरो से चाहते हो,वही दूसरो को पहले दो,तब तुम्हें अनंत गुणा होकर वही मिलेगा। यदि सेवा चाहते हो तो सेवा करो, मान चाहते हो तो मान दो। यश चाहते हो तो यश दो। अर्थात यदि तुम किसी को दुख देते हो तो बदले में तुम्हें दुख ही मिलेगा, अपमान करोगे तो तुम्हे भी बदले में अपमान ही मिलेगा। अतः यदि प्रेम चाहते हो तो प्रेम देना सीखो।
Monday, December 28, 2009
Saturday, December 26, 2009
सूर्य भगवान के तीन रूप है
आधिभौतिक रूप
आधिदैविक रूप
आध्यात्मिक रूप
वैज्ञानिक दॄष्टि से हाइड्रोजन-हीलियम का जलता हुआ आग का गोला है,यह स्मपूर्ण जड़-चेतन जगत को प्राण देता है _ यह है सूर्य का आधिभौतिक रूप ।
ज्योतिर्विज्ञान के सारे प्रयोग सूर्य के आधिदैविक रूप पर आधारित है।सूर्य का यह रूप दॄश्य से हज़ारों गुना प्रभावी है।
यही वासुदेव-श्रीकृष्ण-परब्रह्म परमेश्वर का-विराट पुरूष का वास्तविक स्वरूप है _ यही है भगवान सूर्य का आध्यात्मिक रूप ।
आधिभौतिक रूप
आधिदैविक रूप
आध्यात्मिक रूप
वैज्ञानिक दॄष्टि से हाइड्रोजन-हीलियम का जलता हुआ आग का गोला है,यह स्मपूर्ण जड़-चेतन जगत को प्राण देता है _ यह है सूर्य का आधिभौतिक रूप ।
ज्योतिर्विज्ञान के सारे प्रयोग सूर्य के आधिदैविक रूप पर आधारित है।सूर्य का यह रूप दॄश्य से हज़ारों गुना प्रभावी है।
यही वासुदेव-श्रीकृष्ण-परब्रह्म परमेश्वर का-विराट पुरूष का वास्तविक स्वरूप है _ यही है भगवान सूर्य का आध्यात्मिक रूप ।
Friday, December 25, 2009
Thursday, December 24, 2009
Wednesday, December 23, 2009
Tuesday, December 22, 2009
Monday, December 21, 2009
Friday, December 18, 2009
Thursday, December 17, 2009
Wednesday, December 16, 2009
Tuesday, December 15, 2009
Monday, December 14, 2009
Saturday, December 12, 2009
Friday, December 11, 2009
गायत्री मंत्र का जाप नियमित रूप से बार-बार करना ही साधक की तपस्या है। इस मंत्र में परमात्मा से सद्बुध्दि प्रदान करने की माँग की गई है,परन्तु एक बार कह देने पर से सद्बुध्दि प्राप्त नहीं होती। जिस प्रकार एक छोटा बच्चा प्रतिदिन अभ्यास करने पर ही एक-एक अक्षर सीखता है,उसी प्रकार साधक के जाप की निरन्तरता एवं लगन की उसे परमतत्व की ओर प्रेरित करती है।
Thursday, December 10, 2009
पापेन जायते व्याधिः पापेन जायते जरा। पापेन जायते दैन्यं दुःखं शोको भयंकरः॥
तस्मात् पापं महावैरं दोषबीजम मग्ङलम्। भारते सततं सन्तो नाचरन्ति भयातुराः॥
(ब्रह्म खंड)
पाप ही रोग,वॄध्दावस्था तथा नाना प्रकार की दीनताओं का बीज है।पाप से भयंकर शोक की उत्पत्ति होती है।यह महान वैर उत्पन्न करने वाला,दोषों का बीज और अमंगलकारी है। भारत के संतपुरूष इसी कारण कभी पाप का आचरण नहीं करते।
तस्मात् पापं महावैरं दोषबीजम मग्ङलम्। भारते सततं सन्तो नाचरन्ति भयातुराः॥
(ब्रह्म खंड)
पाप ही रोग,वॄध्दावस्था तथा नाना प्रकार की दीनताओं का बीज है।पाप से भयंकर शोक की उत्पत्ति होती है।यह महान वैर उत्पन्न करने वाला,दोषों का बीज और अमंगलकारी है। भारत के संतपुरूष इसी कारण कभी पाप का आचरण नहीं करते।
Wednesday, December 9, 2009
Tuesday, December 8, 2009
Monday, December 7, 2009
लयबध्द प्राणायाम-प्रकिया रोगो से मुक्त होने का सर्वश्रेष्ठ साधन है। इनमें से प्रमुख है लयबध्द एवं मध्यम गति से साँसो को बाहर छोड़ना जिसे कपालभाति प्राणायाम कहते है और द्वितिय है अनुलोम-विलोम प्राणायाम जिसमें मध्यम गति से साँस लिया और छोड़ा जाता है, साँस लेते हुए पेट फूले और छोड़ते हुए पेट सुकड़े, इसका विशेष ध्यान रखें। जितने समय में साँस ले,उतने ही समय में धीमी गति से साँस को बाहर छोड़े। लयबध्द प्राणायाम से ना केवल मन एकाग्र होता है अपितु शरीर सम्पूर्ण रोगमुक्त होता है ।
Sunday, December 6, 2009
Saturday, December 5, 2009
Friday, December 4, 2009
Thursday, December 3, 2009
माँ से ही सॄष्टि चलती है,इस बात की पुष्टि ऋग्वेद के विभिन्न सूत्रो में की गई है। प्रकृति ने माँ के व्यक्तित्व में ममता,वात्सल्य,स्नेह इस तरह मिश्रित किया है कि इस अतिदुर्लभ व्यक्तित्व का प्रेम और वात्सल्य पाकर स्वयं (भगवान विष्षु) अवतारी चेतना भी धन्य हो गयी। भगवान राम और माता कौशल्या एवं भगवान कृष्ण और माता यशोदा का वात्सल्य इस प्रेम के सत्य उदाहरण है ।
Wednesday, December 2, 2009
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