ध्रुव कठिन तप में लीन थे, तब देवर्षि नारद उन्हे परखने की दॄष्टि से पूछा कि "यदि तुम्हे इस घोर तपस्या के उपरान्त भी ईश्वर के दर्शन प्राप्त ना हुए तो तुम क्या करोगे? इस पर भक्त ध्रुव ने धैर्यपूर्वक कहा - "भगवन! मैं निरन्तर तप करता रहूँगा और अंत में विजय मेरी होगी। अतः धैर्य ही सफलता की कुंजी है।
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