Tuesday, December 29, 2009
जो तुम दूसरो से चाहते हो,वही दूसरो को पहले दो,तब तुम्हें अनंत गुणा होकर वही मिलेगा। यदि सेवा चाहते हो तो सेवा करो, मान चाहते हो तो मान दो। यश चाहते हो तो यश दो। अर्थात यदि तुम किसी को दुख देते हो तो बदले में तुम्हें दुख ही मिलेगा, अपमान करोगे तो तुम्हे भी बदले में अपमान ही मिलेगा। अतः यदि प्रेम चाहते हो तो प्रेम देना सीखो।
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