Friday, December 18, 2009

यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत।
एवं पुरुषकारेण विना दैवं न सिध्यति॥
अर्थात
जिस प्रकार एक पहिए का रथ चल नहीं पाता,उसी प्रकार पुरुषार्थ के बिना,केवल दैव (भाग्य) से कार्य सिध्द नहीं होता ।

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