Thursday, July 1, 2010
जिस प्रकार भोर होने से पहले रात्रि का अंतिम प्रहर गहन कालिमा से परिपूर्ण होता हैं उसी प्रकार वर्तमान युग की स्थिति भी निरंतर बुरी होती जा रही हैं, परन्तु हमें ईश्वर पर भरोसा रख सदा संघर्ष जारी रखना चाहिए कि नव युग का निर्माण अब दूर नहीं, और उस श्रेष्ठ एवं नवीन युग की स्थापना से पूर्व सभी बुराईयों का सपष्ट होना नितांत आवश्यक हैं।
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very hopeful
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