"जीवतं सफलं तस्य, य़ः परार्थोद्यतः सदा" अर्थात जीवन उसी का सफल और सार्थक हैं जो सदा परोपकार में संल्गन रहता हैं, परोपकारी को किसी चीज़ का भय नहीं रहता न पाप का और न ही पतन का, उसे तो केवल लोक-परलोक दोनो में ही जयजयकार ही मिलती हैं एवं परोपकारी व्यक्ति सदा ही पूज्यनीय हैं।
very correct.
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