Thursday, July 15, 2010
अधिकतर लोग ज़रा सी विपत्ति आने पर ही घबरा जाते हैं और हाय-हाय करने लगते है एवं ईश्वर के प्रति अनास्थावान होने लगते है,परन्तु उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि संसार में रहते हुए तो दुख-तकलीफें आना अवश्यंभावी हैं इसीलिए उनसे विचलित न होके उन्हें परमपिता का खेल समझना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों के साथ खेलते हैं,मुख पर डरावना मुखौटा लगाके बच्चो से ठिठोली करते हैं उसी प्रकार परमेश्वर जो हम सभी के पिता हैं और हम उनकी संतान हमें कठिनाइयों से अभ्यस्त बनाने के लिए समय-समय पर हमारे जीवन में चुनौतियाँ उत्पन्न करते है ताकि हम संसार के हर संकट का सामना कर सकें,अतः आपत्तियों को परमात्मा का खेल समझ उन्हें स्वीकार करना चाहिए एवं सदा ईश्वर में अपनी आस्था बनाए रखनी चाहिए।
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what a fantastic thought!
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