Tuesday, May 31, 2011

अनन्य का अर्थ है- अन्य का अन्य न रहना,अनन्य हो जाना यानि परमात्मा से एकाकार होने के लिए आवश्क है अनन्य भक्ति जिसमें की भक्त तल्लीन हो जाता है, प्रभु भक्ति में एवं परमात्मा में एकात्मा का अनुभव करता है।

Sunday, May 22, 2011

There are many people in this world who think just about themselves,some others think about the rest and themselves and yet some more who think about God and live to serve others and such are the people of God.

Saturday, May 21, 2011

God loves everyone equally,so follow His footsteps and love everyone alike.

Friday, May 20, 2011

Let others know how important they are to you before they think otherwise!

Thursday, May 19, 2011

God made everyone with His own qualities so how can we dislike someone who has qualities of The Almighty!

Tuesday, May 17, 2011

Combine all your efforts to become a good human being and be helpul to others, God will bless you for sure as He sees everything!

Sunday, May 15, 2011

Children are like flowers in the garden of life, nurture them with love, affection, care and without being possessive treat them as gift of God.
Respect and give love to everyone as everyone is same in the eyes of God.

Friday, May 6, 2011

जीवन भगवान की देन है, परन्तु आपके कर्म आपकी स्वयं की रचना है, ईश्वर ने आपको जन्म तो दिया परन्तु कर्म करने का अधिकार आपको सौंपा इसीलिए अपने कर्म बहुत ध्यान से करें ताकि पीछे पछ्ताना न पड़े। किए गए कर्मो का फल तो भुगतना ही पड़ता है,तो इसके लिए सदैव तैयार रहना चहिए।

Thursday, May 5, 2011

तुम उद्‌वेलित क्यों हो नियति तो सदा मंगलकारी ही होती है, जब ईश्वर तुम्हारे साथ हैं तो तुम्हे किस बात का डर है, तुमने जो कर्म किए है उनसे तुम भाग नहीं सकते और ईश्वर जो तुम्हारे सच्चे मित्र हैं वह सदा ही तुम्हारा मंगल ही चाहते हैं इसीलिए अपने मन की सभी बात ईश्वर से कीजिए और निश्चिन्त रहिए।

Wednesday, May 4, 2011

Don't be disgusted with failures they are one step below success. Have faith in God and keep moving.
भगवान ही माता-पिता का रूप ले हमें जन्म देते हैं, गुरू बन हमें शिक्षा प्रदान करते हैं, हम सब और यह सम्पूर्ण ब्रहांड उस परमात्मा का ही तो सगुण साकार रूप हैं। जिस ओर भी आपकी दृष्टि जाती है सब ओर ईश्वर का ही ऐश्वर्य व्याप्त हैं, किसी फूल की सुंदरता हो या किसी जीव की चंचलता सबमें वह निराकार ही तो समाये हैं। अतः सबका सम्मान कीजिए और किसी को आहत मत कीजिए।

Tuesday, May 3, 2011

दिन भर में अपनी दिनचर्या पर ध्यान दीजिए और चाहे कुछ भी हो क्रोध, लालच और झूठ से दूर रहिए, अपने ऊपर ध्यान दीजिए कि किसी भी अवस्था में आपको क्रोध न आए, क्योंकि उससे तो केवल आपका नुकसान ही होगा और जिसपे भी क्रोध करेगें उससे आपके संबंध कटु ही होगें, मधुर संबंध तो केवल प्रेम से पनपते हैं।

Monday, May 2, 2011

भगवान ही माता-पिता का रूप ले हमें जन्म देते हैं, गुरू बन हमें शिक्षा प्रदान करते हैं, हम सब और यह सम्पूर्ण ब्रहांड उस परमात्मा का ही तो सगुण साकार रूप हैं। जिस ओर भी आपकी दृष्टि जाती है सब ओर ईश्वर का ही ऐश्वर्य व्याप्त हैं, किसी फूल की सुंदरता हो या किसी जीव की चंचलता सबमें वह निराकार ही तो समाये हैं। अतः सबका सम्मान कीजिए और किसी को आहत मत कीजिए।