Thursday, June 30, 2011

True love is an acceptance of all that is, has been, will be, and will not be.

Wednesday, June 29, 2011

आध्यात्म का सच्चा अर्थ हैं अपने भीतर के ईश्वर को जाग्रत और जीवंत बनाना और जो तभी संभव हैं जब अंर्तमुखी बन अपने मन में ईश्वर ने जो भी देवत्व गुण दिए हैं उन्हें विकसित करना और जो असुरी प्रवृतियाँ हैं उनके संहार के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।

Tuesday, June 28, 2011

Parents attend to their child with unconditional love & affection and we call them with loving names just like God.....Parents are someone that you'll get only once in a lifetime and every moment spent with them is cherished long.Love your parents, they need your love, just as you need their's. No other but God is only capable of making "Parents" who are loving angels and makes us feel & believe the presence of God everyday and everywhere.

Monday, June 27, 2011

ईश्वर सब तरफ विराजमान हैं, न तो वह किसी से पक्षपात करते हैं और न ही पूजा-अर्चना का दिखावा करने से प्रसन्न होते हैं, उन्होंने तो मानव को केवल एक ही काम सौंपा है कि वह दूसरों की सेवा करें, उनके दुख-दर्द में काम आए और मानवता के कल्याण में ही अपना जीवन व्यतीत करे, परन्तु मनुष्य तो केवल अपने ही कल्याण में(धन अर्जन) में अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत कर देता है और यह सोचता हैं कि प्रभू भजन और मानव सेवा के लिए तो बुढ़ापा ही काफी हैं परन्तु जीवन की संध्याकाल आने पर सिवा पछ्तावे के और कुछ हाथ नहीं लगता। अतः समय रहते ही सचेत हो जाओ और जिस मकसद से परमात्मा ने इस धरती पर जन्म दिया हैं उसे पूर्ण करो।

Friday, June 24, 2011

God is everywhere, just look for Him in everyone! and you could find Him anywhere.

Thursday, June 23, 2011

यथा हि पुरूषः शालां, पुनः संप्रविशेन्नवाम्‌।
एवं जीवः शरीराणि, तानि तानि प्रपद्यते॥
अर्थात जिस तरह एक पुरूष नए घर में प्रवेश करता हैं, वैसे ही जीव विभिन्न शरीरों को धारण करता हैं।

Wednesday, June 22, 2011

If you need a role model in life, look upto Him and He'll guide you whom to set one!

Friday, June 17, 2011

सब ओर ईश्वर की ही तो सत्ता विराजमान हैं, भगवान ही माता-पिता के रूप में हमारा जीवन सँवारते हैं, भाई-बहन बन हमारे साथ खेलते हैं, मित्र बन हमें मुश्किलों से उबारते हैं, साथी बन हर सुख-दुख में हमारा साथ निभाते हैं, शत्रु बन हमें विपत्तियों से जूझना भी प्रभू ही सिखाते हैं सब उस परमपिता के ही तो रूप हैं,केवल हमें भिन्न दिखते हैं क्योंकि हमारा देखने का नज़रिया अलग है। सही मायने में धरती- आकाश सब ओर जहाँ भी हमारी दृष्टि जाती है इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड के रचयिता और निर्माता और कण-कण में विराजमान केवल मेरे प्रभू जी ही तो हैं।

Thursday, June 16, 2011

God is present everywhere, within everyone and at every place you can think of, do not shrug Him away from you by shrugging at others!He loves all His creations equally.

Wednesday, June 15, 2011

जीवन परमात्मा की दी हुई अमूल्य कृति है, इसे व्यर्थ न गवाएँ क्योंकि जीवन का हर क्षण बहूमूल्य है जो एक बार बीत जाता है उसे फिर हम कितना भी चाहें पा नहीं सकते। ईश्वर जो हम सभी के पिता हैं वह दया के सागर हैं उन्होने हमें इतना कुछ प्रदान किया हैं कि यदि हर पल भी हम उनका धन्यवाद करें तो वह कम है। उनकी संतान होने के नाते हम सभी उनके ईश्वरीय गुणों से परिपूर्ण है, कोशिश करनी हैं उन गुणो को निखारने की और संवारने की ।

Tuesday, June 14, 2011

God is your father and you are His child, so you inherit all the qualities of peace, happiness and tranquility from your Father, do not lose them in your journey of life.

Monday, June 13, 2011

श्री कॄष्ण ने भागवत गीता में कहा है-
कल्याण्कॄत्कक्ष्चि‌द्दुर्गतिं तात गच्छति।
हॆ तात! कल्याण कर्म करने वाले की कभी दुर्गति नहीं होती।

Sunday, June 12, 2011

Do not fear God,Love Him instead and you'll get all His love in return!

Friday, June 10, 2011

God dwells witin everyone but all your actions are your own creation and they are the ones who form your destiny!

Thursday, June 9, 2011

परद्रव्येष्वभिध्यानं मनसानिष्टचिंतनम्‌।
वितथाभिनिवेशश्च त्रिविधं कर्म मानसम्‌॥
मनुस्मृति १२/५
अर्थात परधन के लेने की इच्छा, मन में किसी का अनिष्ट चिंतन करना, नास्तिकता __ ये तीन प्रकार के मानसिक पाप हैं।

Wednesday, June 8, 2011

Give hope to others, that's the best gift that you can offer!

Tuesday, June 7, 2011

उपासना शब्द उप व आसन दो के युग्म से बना है। उपासना शब्द का अर्थ हैं परमात्मा के पास बैठना,उनके जैसा बन जाना। यानि परमात्मा के आदर्शों-गुणों को जीवन में उतारने का नियमित अभ्यास ही परमात्मा के पास बैठने का तात्पर्य हैं। उपासना में बार-बार मन को यह ही याद दिलाया जाता हैं।

Monday, June 6, 2011

Give others a chance to prove their worth, as they might be more than a look!

Friday, June 3, 2011

Never let others be the cause of your pain, as happiness lies within like God!

Thursday, June 2, 2011

आत्मा का स्वरूप और स्वभाव हैं शांति, आप चाहे दिन भर में कितने ही अंशात क्यों न रहें परन्तु आप यदि किसी चीज़ को ढूढ़ते है तो वो है सच्चा प्रेम और सुख शांति। और यह दोनो ही स्वयं हर इंसान के अंदर मौजूद हैं।

Wednesday, June 1, 2011

हे परमात्मा आपका किन ल्वज़ो में शुक्रिया अदा करूँ कि आपने मुझे सारे जहान की खुशियाँ प्रदान की हैं मुझे मेरे जन्मदाता से साक्षातकार करा उनके जीवन की महानतम खुशी में शामिल होने का मौका प्रदान किया, इस खुशी से बड़ी खुशी को देने के लिए हे ईश्वर मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूँ और आज अपने जन्मदिन पर बारम्बार आपको प्रणाम और आपका स्वरूप ले जिन्होंने जन्म दिया उन माता-पिता को कोटि-कोटि नमन करती हूँ। हे परमात्मा आप ही कि तरह मेरा संबंध मेरे माता-पिता से अटूट हो और जन्म जन्मातर का हो ऐसा आर्शीवाद मैं आपसे चाहती हूँ।