Wednesday, June 15, 2011

जीवन परमात्मा की दी हुई अमूल्य कृति है, इसे व्यर्थ न गवाएँ क्योंकि जीवन का हर क्षण बहूमूल्य है जो एक बार बीत जाता है उसे फिर हम कितना भी चाहें पा नहीं सकते। ईश्वर जो हम सभी के पिता हैं वह दया के सागर हैं उन्होने हमें इतना कुछ प्रदान किया हैं कि यदि हर पल भी हम उनका धन्यवाद करें तो वह कम है। उनकी संतान होने के नाते हम सभी उनके ईश्वरीय गुणों से परिपूर्ण है, कोशिश करनी हैं उन गुणो को निखारने की और संवारने की ।

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