Friday, November 20, 2009

हम सौ वर्ष तक देखें, सौ वर्ष तक जिएँ, सौ वर्ष तक सुनें, सौ वर्ष तक हमारी वाक्शक्ति बनी रहे, सौ वर्ष तक हम स्वावलंबी बने रहें अर्थात किसी के आश्रित न रहकर जीवित रहें, स्वस्थ स्थिति में रहें।"
(यजुर्वेद ३६/२४)

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