Wednesday, August 4, 2010

देह की शक्ति समाप्त होते ही सारी आसक्तियाँ आप से आप ही छूट जाती हैं, जिन बंधनो से बंध कर हम जीवन जीते है, मोह माया, प्रेम-विलाप सब प्राण के शरीर से निकलने पर स्वयं ही अंत हो जाता हैं, परन्तु परमात्मा से हमारा बंधन एसा शाश्वत है जो कि सदा ही बना रहता हैं और कभी नहीं टूटता।

No comments:

Post a Comment